अबै किणरै आवण री उम्मीद कोनी

उडीक आळी बात

निकमैपण री हद सूं बारै व्है चुकी है।

बै सगळा खयाल

जिकां री रगड़ सूं चिणगारयां उठ्या करती ही

म्हैं पूछूं–राख व्है गा कांई सगळा ?

अेक घेराबंदी है चारूंमेर

आंख्यां साफ देखण सूं ना करै

अपणापौ चीज व्है चुकौ

किण सूं फरियाद करां

किणरी बाट जोवां

किण उम्मीद में जीवता रैवां।

लाचारी है हद दरजै री

हद दरजै रौ डर

अंधारी रात में

रूंख री डाळी हिलती देख’र

कंपकंपाय जावै हियौ

हद दरजै रौ मातम है

जमीं खुद री जगै छोडण नै मजबूर

अविस्वास है हद दरजा रौ

फकत डील नै ढोवता रैवण रै अलावा

कीं ईं सोचण माथै पाबंदी है।

सगळा रा सगळा खुद री जगै छोड़ चुका

खुद रा विचार बदळ चुका सगळा रा सगळा

सगळा रा सगळा अेक बहाव साथै व्हैगा जांणबूझ'र

सगळां री कलमां चारण व्हैगी।

सगळा सोधता फिरै है-अलादीन रौ चिराग

सगळां ने उम्मीद है

अक दिन सिमसिम जरूर खुलैला

सगळा रा सगळा बड़ा मजा सूं जीवै है

सगळा रा सगळा दुख रा दोस्तां री हत्या में सामिल है।

कोई है—

कोई, जिकौ अेक सदी जूंझणै री तैयारी में है

कोई जिणरौ लिखाण जुलम री मियाद बतावतो व्है

कोई, लोगां रै बिच्चै सूं बोलै

लोगां री जबानी, लोगां रै हक में

कोई, जिकौ दवात री कीमत ओळखतौ व्है

कोई, जिकौ उतारतौ व्है, दस्तावेजां री सूरत

जिदगाणी जीणे री लड़ाई

कोई है...कोई है... कोई है

नीं कोई कोनी....कोई कोनी....कोई कोनी

हां—कोई व्हैला

व्हैला जरूर

जिकौ सूनी रोई में

चिड़ियां री बोली सीखतौ व्हैला।

अबै क्यूं आयौ, खुद री भद्द करवावणनै

कठैई मर-खप जावतो

तौ इतिहास नै लाजणौ तौ नीं पड़तौ

बता, अबै क्यूं आयौ है ?

फेरूं सजावैला कोई नवौ बजार

फेरूं खरीदैला नवी-नवी बोलियां

फेरूं लिखावैला खुद सारू कोई नवौ 'कसीदौ'

फेरूं कोई री रोटी खोसैला

फेरूं किणी रै टाबरां री मौत रौ जसन मनावैला

बता, अबै क्यूं आयौ है

चुपचाप क्यूं है

जबाब दे!

फेरूं आजमाइस करैला ?

कर, म्हारै माथै इज क्यूं नी आजमावै थारा हथियार

बता, किण सख्स री बळी चाहीजै थनै सैंगां पैली

कठै सं करैला थूं कतल री सरुआत

म्हारै सूं इज क्यूं नी करै

कर...

सोचलै

थोड़ौ बगत बाकी है

इण सूं पैड़ालां के म्हारै कड़’बै रा लोग पाछा आय जावै

करलै, मन-मरजी करलै!

कोई अेक आवाज आवै म्हारै खिलाफ

कोई साजिस, कोई कांटेदार परकोटौ

कोई हथियारां री खरीद रौ सौदौ

कोई कतल री सरुआत म्हारै खिलाफ

कोई इत्तौ खतरनाक व्है सकै के—

हरेक डर रौ इलाज हथियार व्है

हरेक सबद आजादी रौ अरथ बदळे

व्है, म्हारै खिलाफ

कोई हक मांगै

कोई हक वास्तै फरियाद करै

कोई मर-मिटण नै तैयार व्है हक री खातिर

सगळा रा सगळा गुनैगार है

थूं पण गुनैगार है,

थूं पण कदैई कवित नीं लिखै म्हारै खिलाफ।

इज अक मौकौ है

अेक जमात ऊभी करैला बै

अर अेक फरमान काढैला

के कवित लिखौ

म्हारै खिलाफ, म्हारै खिलाफ

अब थूं आयगौ है, तो आजा

थोड़ी बिसाई खा, थोडौ खायले अर सूय जा

सगळा रा सगळा हिम्मत हार चुका

थूं आयौ के म्हैं थारै साथै चालूं

मुस्किलां में कोई मारग सोचूं

कोई पगडांडी, कोई पतळी-सीक लकीर

जिकी ठीक मारग ताई जावती है, सोधूं

थारी मंछा है

थारी थकान मिटावण सारू

अेक लंबी जातरा माथै पाछौ जावण सारू

कोई गीत गावूं, कोई कवित लिखूं

अबै थूं आयगौ है तौ जा,

देख, म्हैं पाछी कलम पकड़ी हूं आज

थूं थारी कै....

कै सनी रोही री कहाणी

थारौ हासिल के, थारौ विरसौ के

दोस्तां री कै, दुस्मियां री तैयारी बता

थूं कैवतौ जा....सोच-सोच'र कैवतौ जा

म्हैं हूबहू लिखूं

कैवतौ जा....

दिन ऊग्यां पैली सगळी बातां कैजा

जिकी थूं कैवणी चावै

इणसूं पैला के कोई दरवाजौ ठोकै, निकळ जा

म्हैं थारै वास्तै अक गीत गावूला

म्हैं थारै वास्तै अक कविता लिखूंला।

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : आत्माराम ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी