1
कुण कैवै है?
कै ईं देस सूं
म्है प्यार नीं करां
कोई जामण रो जायौ
म्हारला खेत में सूं
अेक सिरौ ई तोड़ ले जाय
तो जाणं  उण नैं

पण भाईड़ा रे
म्है थारी सी नाईं
रगत नैं रंगां में
नीं बाटां
क्यूं'क
आप रा घर में बैठा’र
जूत्यां की देणी
मरदां रो काम
थोडौ इ है

म्है तो  आ ई  जाणां
अेक चानणौ सबकी
आंख्यां रै वै
अर  सबकी छाती में
धू-धू  लाय बळती रे...


2
मिनखां री पिछाण
उणियारै सूं
कुण कर सकै?
मांयलौ टटोळयां बिना
पण  जमानौ
घणी तरक्की करी
ज्यूं क
आदमी री पिछाण
चिन्हां सूं होबा लागी
(चुणावां में)
अर  मजै री बात या
के अंधारौ करबा हाळा
दीवौ बालै—
अफसर हळ जोतै
और तो और
टूंटा ई हाथ दिखावै
पैली सुणी ही
आज देख ली
लूली ई लात बावै।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : कैलाश मनहर ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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