काटतो जावै मिनख
आज आपरी ई जड़ां नैं।
उळझतौ जावै
आपरै ई बुण्योड़ै जाळ मांय।
अबार रिस्ता-नाता
रैयग्या फगत मतलब सारू
मेळ-मुलाकात अर हेत
रैयौ ई कठै?
बणग्यो मिनख इब तो मसीन
भूलग्यो अपणायत
थोथी हुयगी है
सैंग मानतावां।
म्हारै मन मांय है
फगत अेक सवाल
मिनख कद बणसी 'मिनख'?
पण,
कुण देवै म्हनैं पडूत्तर!