कुण छै वै लोग
जो खै छै
बेटी नै बारै पढबा भेजी
तो लोग कांई खैवैला।
ब्यावं में मोटो खरचो न करयो
तो लोग कांई खैवैला।
कुवा-पूजण, जळवां न करया
तो लोग कांई खैवैला।
तीया की बैठक कर बारो न करयो
तो लोग कांई खैवैला।
रंग-सफेदी में पीसो न लुटायो
तो लोग कांई खैवैला।
ढंग का मकान-गाड़ा न बणाया
तो लोग कांई खैवैला।
छोटी-मोटी नौकरी करी तो
तो लोग कांई खैवैला।
सीधी-सपाट जबान बोली
तो लोग कांई खैवैला।
दिन उग्यां सोया, देर रात जाग्यां
लोग कांई खैवैला।
कुण छै वै लोग?
कोई तो बतावो।
जो कहता ही रहवै छै
कुण या नै हुंकारा भरै छै
कश्यां खामेखां छै ये?