थांई क्हो छो-

'कुण लड़ेगो आज को

म्हाभारत?'

तो सांची जाणजो

लड़बाहाळा अरजुण तो

आज भी लड़र्या छै...

पण थांई तोल कोई नै!

किसन जद-जद

गीता बांचै छै

अरजुण जा भड़ै छै

कौरवां सूं!

री बात धरतरास्टरां की

तो वै राष्ट्र होवै

धरतरास्टर तो काल तांई आंधा छा

अर आगे भी आंधा रैहगा।

स्रोत
  • सिरजक : जितेन्द्र निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै