खेत की मेर्यों पै छै।
एक बूल्या को रूँख।
रूँख कै तलै छै एक खाट।
समून सपाट।
ऊं पै बैठ्यो छै एक किसान।
पीठ अर पेट छै ऊंको।
एक समान।
आँख्याँ पै बड़ा-बड़ा खाडा।
करमटा पै खालड़ा की।
लकीरां को बण र्यो छै चाँद।
हातां अर पगां की नीली-नीली।
नसा पै दीखै छै हिन्दूस्तान।
अपणा आप सूं अणजाण।
न्है जाणै ऊं अपणी शान।
लक्ष्य छै ऊं को प्रकृति
कै समान।
देख रह्यो छै अपणा खेत को धान।
जी'म बहायो छै ऊनै खून पसीनो
बे लगाम।
गोडै धरी छै रोट्याँ की छाक
खावै छै चटनी अर कांदा की लार
मलै छै ऊनै घणो तोष
ईश्वर न द्यो छै ऊं कै ताई
घणो सन्तोष।
बला रहयो छै गाय छालर
नै हांका पाड़-पाड़'र
गाय बी आवै छै ऊं के पास
गाय की पीठ पै फेर रह्यो
छै हात बार-बार
वा बी चाट री छै
ऊं का पांव
जस्यां मा दे छै प्यार
को प्रति दान।
लाठी अर लंगोटी
छै ऊं को परिधान
समाज ने देबा हालो
अन्न दान मूर्तिवान
कतनो छै महान।