बायरे नै रोकबा
म्हैं सिदाळा घर रौ
किंवाड़ आधो ओढाळ दियो
ओढाळतां थंका मन
उथलो खायो कै
म्हैं म्हारी आखी उमर
इण किंवाड़ ज्यूं
मनड़े रे आडी करती गी
मनड़े रै भावां तांई
कदेई पूरो खोलयो नी
इण किंवाड़ नै
मनड़े नै ब़ळती देवती
आंसूडा मांइज ढळकावती
म्हारे हरेक दरद सूं
म्हें किंवाड़ राखियो
बोल उपजता पण
छोरी होवण री
थळगट सूं बारे नी काढिया
सुपणा देखती आंखियां
पण बारोतिये सूं
झेल्योड़ी ऊभी रैयी
खुद रो आत्म सम्मान
बिखरता थकां
सगळां री राजी न हांजी
मांय बोला री कीलां
खुद मांय चुभोवती रैयी
सगळी उमर किंवाड़
राखियो मनड़े रे भावां तांई।