मांगीड़ै रै खेत
अर नै'र बिचाळै री।
कींकर नीं जाणै
ग्लोबल वार्मिंग,
आतंकवाद
अर राजनीति रा खेल।
नीं पिछाणै-
ओबामा, सोनिया, मुशर्रफ!
कींकर जाणै-
फगत आ बात
कै जद भर्योड़ी चालै नै'र
तो पूगज्यै
मांगीड़ै री घरवाळी
खेत मांय
अर टाबर हुळसता तोडै पातड़ी।
जद घटज्यै नै'र रो पाणी
तो टळकै मांगीड़ै री आंख
अर सूखती नै'र रै सागै
खेत होय जावै उजाड़...
बच जावूं म्हैं अेकलो
उडीकतो
नै'र रो पाणी!