छप्पनियै काळ
बिखौ पड्यां
म्हांनै सूंप दीवी ही थूं
आपरी देह।
म्हे थारी छाती रा छौडा छोल
मिटाय लीवी ही
आंतड़ियां री लाय।
थारै ई पांण
पोतै आ मिनखा-जूंण
थारै बडापणा नै
युं कीकर बिसराय देवां
अैड़ा नुगरा तौ
भवै ई कोनीं
म्हे।