कविता
छाटकै वकील रै सामी
अमूझियौड़ै फरीक री
बौखलाया है
ठगीजियोड़ै री छटपटाट
अर मिनख री ओळखाण है
जिकौ बोलै कविता में
लिखै वा ई कविता में
जीवै तौ कविता में
रोबै तौ कविता में।