कविता

छाटकै वकील रै सामी

अमूझियौड़ै फरीक री

बौखलाया है

ठगीजियोड़ै री छटपटाट

अर मिनख री ओळखाण है

जिकौ बोलै कविता में

लिखै वा कविता में

जीवै तौ कविता में

रोबै तौ कविता में।

स्रोत
  • पोथी : सावचेत रैणौ है ,
  • सिरजक : मदन डागा ,
  • प्रकाशक : साहित्यागार जयपुर