जिण रै आखरां रो उज्यास

हरेक अंतेह तक पूगे जावै

ऐड़े कवि री कवतावां

हाँ एडीईज़ कवतावां

कँवळा कुंकुम पगला भरती

पूगे धरती सूं आकास तक

कोटड़ियां री भींतां माथै

सोन जड़ाव कर मड़ावै

करसा,ग्वाळा अर बटाऊ

पारखू-पागी अर पणयारियाँ

बात पोळावती डोकरियाँ

जिण नै गावै अर सरावै

मावड़ियाँ टाबरां नै ऊँगावै

काळ चिड़ी कबड़ाळ चिड़ी नै

सुणाय'र हीले मांय सुणावै

ऐड़ो अनोखा कवि

हाँ ऐड़ोइज कवि

आखरां बीच अमर हो जावै

वांरी कवतावां मिनखां रो

मोत्यां मूंगो गळहार बण जावै

सुणजौ सांभळजौ

संसार रा सगळा कविसरां

कवतावां तो वा इज है

बाकी तो मन रो गिरगिराट है।

स्रोत
  • सिरजक : रेवंत दान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी