आगीवाण
मौत नै कदै ई नीं चिंतै
नीं विचारै
नी गिनारै
पण, कवि इण गिनार माथै
आपरा सांस वारै
यूं मोत नै सिकारै
पोछड़ी मौत अर अमर जूण
ऊभै जोड़ा-जोड़ा
देवै दोना नै गेलौ-
“ देखा,
कुण-सो कठी नै पग मेल्हौ”