मौसम री कतरणी

कीधा जिंदगी रा लीरा

कोई सावण

तौ कोई आसाढ़ी दिन

जिन्दगी,

बादळी रै धेरै में

लुकणदाई रमती धूप

क्यारेक पीळी

क्यारेक धोळी,

अे हुई काळी...अे हुई!

जिन्दगी

कटपीस रौ माल!

कोई पीस बढ़िया

कोई ठीक-ठाक,

कोई में तौ

टक टुक !

नीं पैरण रौ

अर नीं बिछावण रौ!

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : पुरुषोत्तम छंगाणी ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी