लांबी कविता रा संपादित अंस

1

ईं गांव में कठैई कीं व्हेगौ है
व्हेगौ है
लागै ईंयां
के जांणै चौमासै री आड़ू दोफरी
गट्टै रै पींपळ सूं नीं
तळै पड़िया बुढियां रै
डील सूं निसरी
बड़’र ऊंडी-ऊंडी

धांसी, राम निसरगो...
ठाकरां नै सोच है
कोटड़ी रै मूंडागै सूं
जावतोड़ौ बगत
उघाड़ै माथै निसर्यो
साफौ बिसरग्यौ

वियां जांणण नै गांव रा गिंडकड़ा ई जांणै
के दिन-आथ्यां दारू पीय’र
पेन्सन आयोड़ौ सूबेदार
क्यूं बोलै वांरी बोली
अर क्यूं अर कियां
चोधरी जीभ माथै गुड़ फेर’र
मिनखां नै फेरै-
ठाह है मास्टर नै
पण, पण वौ क्यूं राखै ठाह
वींनै ठाह राखण नै दूजी बातां ई घणीं

जियां –
छोरां री बैनां रा नांव कांई
कंवारी के परणी
परणी तौ सासरौ कठै
धणी रै धंधौ कांई
ईं गांव में कठैई कीं व्हेगौ है
सांच्याई कीं व्हेगौ है
के चूंकली रौ आई साल नातै जावणौ
अर बास वाळै आंधै घींस्यै रौ
'राम-राम' करतां मांगण सारू आवणौ
दोन्यूं विंयां रा विंयां है
विंयांई है
घींस्यै सूं जुड़ियोड़ी
दूधिया दातां री अनुप्रासी रिगल -
-घींस्या बाबा राम-राम
-राम-राम
-थारी बेटी म्हारै गाम
म्हां नीं भेजां किस्यो-क काम
किस्योक काम
टक-टक (डांग री आवाज)
किस्योक काम
टक-टक
सोचूं
कांई बदळ्यौ
बदळण नै तौ स्सौ कीं बदळ सकै
बदल सकै
ढोलण रौ साद
अर बाण्यै रौ पाद-
बगत री बात है
बीड़ी रौ टोटौ कान में ई राखां
अर खूंणै में ई न्हांखां, फरक कांई पड़ै
स्कूली कुचमादां तौ मेलसी
सड़क माथै
विंयां ई भाटा
तारीखां लिखसी
प्याऊ माथै
विंयां ई गाळ्यां
अर भणाई विंयां ई बणासी
गेलै माथै
मूत सूं मुलक री जोगराफी
रसी...(होठां आडी आंगळी)
बोला रैवौ
चालण देवौ
फीटै फाग नै 'जन-गण-मन' करणै रौ जिकर
अर मंड्योड़ी पाटी नै भांगण री फिकर
जरूरी कोनीं
के भणावै कोई नक्सल-फक्सलवाद
भण सकै टींगर आपूं-आप
ई गांव में कठैई कीं व्हेगौ है
व्हेगौ है
व्हेगौ है

2

ईं गांव में कठैई कीं व्हेगौ है
कीं न कीं
दिनूगै-दिनूगै
घर-घर सूं
औ गांव
अेक बासी उबासी जिंयां निसरै
अर पसरै
अर पछै बाजण लागै दिन
चांणचुकी बाजी सीटी ज्यूं
हांड्यां में उगसण्यां
आंगणै में बुहारौ
बिलोवणै में झेरणौ
घोनां-लरड्यां-गायां-बळदां-टोरडयां रौ उछेरणौ
अर छाती रा धधका गिणती
गांव री चक्की
स्सौ कीं जाण्यौ-जाण्यौ
औ दिन ऊगणौ जांण्यौ-जांण्यौ

दिनूगै री पैली चिलम पीय’र
धांसतौ बेरौ
पसवाड़ां में अळगी, बिखरी
धुंऔं काढती ढाण्यां री मेड्यां
विंयां री वियां
पण औ कांई
औ कांई
आं सगळां पर तिरै कांवळा
कांवळा
मसांणी कांवळा
भभका खाती ओट्योड़ी सांसां रा कांवळा
कठैई कीं व्हेगौ है – कांवळा
कीं न कीं व्हेगौ है – कांवळा
कांवळा
व्हेगौ है कीं न कीं – कांवळा
बारी सूं देखण री छाती नीं चालै
नीं चालै
जांणै क्यूं
अणदेख्यौ
अणसोच्यौ
कीं व्हेण रौ भै, बैम
नस-नस में बड़तौ जावै
अठी-उठी री चीजां रौ
डाकी व्हे-व्हे
फिरणौ-घिरणौ तिबारै में
पकांयत ई नतीजौ व्हे सकै
बेळ्यां री गणित रा
आंक, ऊंधा-पाधरा व्हेण रौ
स्यात् सिराणै चाय नीं पूगी
ऊगतै दिन नै गाळ्यां काढणौ
नीं हाथ आई सोराई रै नांव
केई केई वार माल खोसतौ नैहचौ देवै
हळकौ व्हेण री जरूत माथै

ईं गांव में कठैई कीं व्हेगौ है
व्हेगौ है
हाल वा छोरी नीं दीसी
जिकी किणीं रै ई गांव छोड’र जावतां
रोय दिया करती
अर वा, वा छोरी पण नीं
जिकी गांव रै जोबन नै
कांकड़ रै सून्याड़ में
मियां-मियां सबदां सूं नीं
वां सबदां रै लारै लुक्योड़ी
अेक उंतावळी
हांफ सूं अरथ दिया करती

लोगड़ा कैवै
के ई गांव में अेक जेठू हुया करतौ
जिकौ, किणरै ई भाई
किणरै ई भतीजौ
किणरै ई काको
अर किणरै ई मामो तौ किणरै ई
मासो लाग्या करतौ,
पण जांणै क्यूं
वौ जद सूं करनल हुयौ
औ गांव मांय ई मांय समझग्यौ
के वौ अब सगळां रै करनल ई लागण लाग्यौ है
स्यात् आपरी अणभणी लुगाई रै ई

ईं गांव में कठैई कीं व्हेगी है
व्हेगौ है।

3

चेतो
चतो
आं ठाडा पौरां नै देखां
ईं सूं पैली के बनबागर्या
सुरजी नै खूंवै लटकायां
सींव-सींव सिरक जावै
केई बातां जांण लेवां
जांण लेवां के पटेल रै हाथ रौ ढेरौ
आपै ई नीं फिरै
फेरणौ पड़ै

सुणौ
सुणौ
चेत करौ
ऊंखळां में पड़ता मूसळ
दिळियौ दळती घट्टियां
अर कूंड्यां माथै
चीं-चीं करती चिड़कल्यां रौ म्यूजिक
थां सारू नीं
टेम री रगां में रुळबा सारू है
बिरथा है कबूतरां री गुटरगूं में
सोधणौ पांती
उठीनै देखौ
देखौ
थारै अैलबम सारू
व्हे सकै
अेक ई पोज घणौ
वां छांणा चुगती छोर्यां रौ
क्यूंके, क्यूंके म्हैं जांणूं
थांरी समझ सूं बारै है
वा भूख री भासा
जिकी कुनियै नायक री आंख्यां में
सूखी रोटी अर सड़ी लुगाई तांई
सारीसी गैली व्हेय’र
फालां ज्यूं ऊफसै
ऊपड़ै
ईं गांव में कठैई कीं व्हेगौ है
व्हेगौ है।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : तेजसिंह जोधा ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम