मां बाप जलम रा दाता

सदा बै कोई सागै रैहसी

पुरसारथ मिनख खुद करसी

चौखा करै या माड़ा करै

फळ तो दोनूंवा रा मिलसी।

चौखा रा फळ चौखा हुसी

माड़ा रा भुगतणा पड़सी

ये तो करम रा भारा है भाई

ऊंच्या ही सरसी!

भाई मिनख री भुजा कहीजै

सुख दुख में सागै बंधसी

जो कोई भाई सूं बेर करै है

बीं नै जीवंत जी मरणो पड़सी

बुढ़ा बडेरा कुटुंब कबीलो

आं रो जद अपमान हुसी

समै री चाल जोवतो रैज्ये

थारा टाबर थारै में करसी

अे तो करम रा भारा है भाई

ऊंच्या ही सरसी।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : पवन कुमार राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी