क्यों आवै
म्हनै गिंध
थारै सुर मांय
मांस सारू
जीभ लपलपावतै
जिनावर जिसी
क्यूं हुय जावूं म्हैं
घास, धरती
कुर्सी कै जूती
थारै आगै
क्यों नीं लागूँ
म्हैं आपोआपने
मानुस
जद भी ऊभूं
थारै साम्हीं
सुणी है म्हैं
नीचे सूं
ऊपर उठावै जको
बाजै मिनख!
पण किणी नै
आपरी ठावी ठौड़ सूं
हेठै पटकणियै नै
कांई कैयीजै?