सगळाऊं पैली
मर्या करै है
मिनखाचारो
अर फेर
मिनख-
अखबार में
निजरां गडायां
रेडियै सू
कान लगायां
गाँव में
चारूंमेर उठता
अनाघात रा घुआ ने देख'र
गळगळीजता
बोल्या हा
काको जी-
जद कदै भी
कठै भी
मरै है मिनख
आंख्या में
भर भर पांणी
रोया करै है
काको जी-
(आजकल बै
रोजीना रोया करै है।)
अर जद जद भी
रोवै
कर्या करै है याद
उण बखत रो
जद
मिनख
मर्या करतो हो
मिनखां सारू।
न तो
मौत री
खबरां रुकै
न वांरी
आंख्यां रो पाणी।
मौत
मिनख दर मिनख
कळप
आंसू दर आंसू।
थांरा काको जी भी
इंया ही
रोया होसी
थांरै मूंडागै?- म्हूँ पूछी।
हां
बांरा काको जी
बांरा मुंडागै?
बै फेर्यूं
हां में नाड़ हिलाई
म्हारी समझ में
चट सीक
एक बात आई
रोवणो इज व्है
तो रोवो भलाई
पिण
मिनख री मौत पे
रोवणो फिजल है
औ
साव कूड़ो ऊसूल है-
जै
एकर भी
मिनखा चारै री मौत पर
रोय लेतां
तो
मिनख री मौत रा
इत्ता हादसा
नीं व्हेता।