लिख दीन्ही

पोथ्यां निरी

पण कठै आयो

हाल मांडणो?

कोनी चालै

कक्कै कोड कै स्यूं

आगै बरतो,

करूं निरथक

घस घस’र इंडोळ्यां

पाटी चीकणी

घणो आंतरै है हाल

बो सारसेर धन्तो?

दीखै परतख

पड़ै सिरजण रै पैली

धरती नै तपणो,

करै आंध्या’र भतूळिया

भिस्ट

धोरां रो माजनो

जद बणै

अंतस री पीड़

घुमट’र

कळायण,

फेर बण ज्यावै बा

मोरियां रै

टहुकां स्यूं

रसायण।

स्रोत
  • पोथी : कन्हैयालाल सेठिया समग्र ,
  • सिरजक : कन्हैया लाल सेठिया ,
  • संस्करण : प्रथम