रिसता भी होवै

फगत कागदी

ऊजळै गाभां में

हारता जूण री बाजी

बगत री थापां सूं

काळ रै धमीड़ां सूं

हो जावै बदरंग

अंतस में छापै

अनै लागै दरकण

कागद अर रिसता

एक टिल्लो फगत

बाढ़ देवै अर कर देवै मून

कीं नीं रैवै लारै

पड़्या रैवै दोन्यूं

ऊँचै अटाळै में

बगत रै अटाळै में

जठै दोन्यां रो

कीं नीं होवै

अरथ अर मनोरथ।

स्रोत
  • पोथी : चौथो थार सप्तक ,
  • सिरजक : संजय पुरोहित ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन