1

अकारथ गयौ
वौ परसेवौ
जिकौ
उमरां सूंप्यौ हौ
म्हे।

2

भै पसरग्यौ है 
च्यारूंमेर 
मिंदरियै 
भूखा मरै है 
देव।

3 

ढूवै पड्या भूंडै ढाळै
डाढता-डाढता
तड़ाछां खाय
रिब-रिब मरग्या है
ठांण।

4

रात-दिन
पाकता ई जावै है
आदमी रा जखम
अर सूखता ई सूखता जावै
खेत।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : मीठेश निर्मोही ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम