तारं नै वेसमें
मारी सान्द्रणी उपर
ढोलियो ढारी नै
अर्धी रातर थकी बैटौ हूँ।
घटीये वेरै थकी
सकलं सूं सूं करै तार तक।
सेवक घण्टीयै वगाड़ै।
तईस वेरै
वेगरै...
केक अंगास थकी
उगमणै
हूरज उतरै
नै धरती नी कोख मैं
नानकड़ू सोरू हलै
अनै
धीरे-धीरै हवार थाय।
धरती माँ नो सेड़ौ
ठोर ठोर भेनेलौ देकाय
तारै एक दाड़ा नो जनम थाय ।
वेलं वेलं
वालं सोरं वजू
मारै आंगणै
दाडौ
रूपारी रायण हातै रमै।
धीरे धीरे
ताप वदतौ जाय
नै दाड़ौ जुवान थाय।
तपतौ हूरज अगन उगाडै़्।
दाडा नै विताडै़
केक घर थकी बाण्णै लई जाय
कईया रोकड़ा पाय
केक बाण्णै थकी धेरै लावै
रवड़ता नै रवड़ावै
आकीए बपोरै
कई नै कई जतन करावै
अेम नै अेम
आणास वेसमै
हाटकं घाई घाई नै
लुई टाडू पडी जाए
नै हात पोग ढीला पड़े
तारै
खाँसती हांज
धीरे धीरै
अमराई नै वेसमै थकी
खेतरं
खरं
नै
तराव ना सेडै़ सेडै़
पेला गोयरा आड़ी
पग-पग
खसकती-खसकती।
डोंगरा मातै सडै।
ने हूरज पेली आडी रोड़वाई जाए।
सकलं उड़ी जाएं
अनै
रई जाए
दाड़ा नु कारू खोरियू मारै हापूँ।