आंथूणै उगता सूरज रै

लार सुरू हुवै

जीवण-जातरा

अर अगूणै कांकड़

आंथता सूरज रै

लार हो जावै पूरी।

स्रोत
  • सिरजक : अंजु कल्याणवत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी