आंवळै रा टुकड़ा

मुट्ठी भर अजवाण

खाली दुवायां रा रेपर

टूटेड़ी माळा

फुदकती ऊंदरी

अर डोकरै री फाटेड़ी फोटू

बस हो

बीं अभागी बूढळी री संदूक में.!

जद नीं मिली माया

तो बहू मांय जावंती-जावंती

बड़बड़ावै ही

अर अेक खुणै में

गोद लियेड़ो बेटो

झुर-झुर रोवै हो...

बठै मन्है बैठै-बैठै नै

इंदीवर याद आवै हा-

कोई किसी का नहीं है

झूठे नाते हैं नातों का क्या!

स्रोत
  • सिरजक : धनराज दाधीच ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी