सात घोड़ा री बग्घी माथै

सतरंगी मुकट रै साथ

सूरजड़ो चढ़'र आयो है...

मुळकै हैं फूल-पोधा

निरखै हैं गायां-गोधा

ई, रेतड़ली मांय सोनो

निपज आयो है...

खेजड़ो लेवै हिलोर

बाल्टी में हिंडे बोर

ऊट मूंडो फाड़ परौ

दिनुगै गाणो गायो है...

कड़-कड़ कड़की बीजळी

नूंई बऊ आंख्यां भींचली

मोट्यार ओढ़णे में निरखै

जीवन उतर आयो है...

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : देवकृष्ण शर्मा ,
  • संपादक : मोहनलाल पुरोहित