लिंकन लिखी ही

जनतंत्र री परिभासा

जनतंत्र रौ अरथ-

जनता रौ राज

जनता सूं संचालित राज

जनता रै वास्तै राज’

इसमें कठै हौ सबद

देस अर सगळौ समाज।

भाई म्हारा!

म्हां जनता में कठै हां ?

म्हां अजै तांई फुटपाथां-

गाळियां, सडकां माथै तौ हां

म्हां जनता नीं, जन हां

इसी कारण निरधन हां!

हरि रै भरोसै बळ मरियां

इणी कारण हरिजन हां!

स्रोत
  • पोथी : सावचेत रैणौ है ,
  • सिरजक : मदन डागा ,
  • प्रकाशक : साहित्यागार जयपुर