इण गांव मांय कदै
नीं आई दिल्ली
औ गांव ई कदै
नीं गयौ दिल्ली
इण गांव रा खुद रा कानून हैं
जियां हरेक जंगळ रा
खुद रा कानून हुवै,
अगूणै बास रै किणी छोरै री आंख
आथूणै बास री किणी छोरी रै
रूप माथै पड़गी,
बात बिगड़गी,
आथूणै बास
अगूणै बास नै
वींरी औकात दीखा दीन्ही
वीं छोरै री देह
खेजड़ी सूं लटका दीन्ही
आथूणै बास सूं चोरीजेड़ी टूम
छोरै रै बाप रै घरै लाधी,
आथूणै बास वाळां रौ
दिल उदार हौ
मुकदमों के करता
बापड़ौ चमार हौ!