अवे कोये न्हें पाथरतंजाजेम,

हंगरं नी जाजेम

सब ने आपड़ी'ज पड़ी है।

केटली पौरी करं आपड़ी जाजेम

हंगरं नुं हुं...

बेठा पंच कारे जाजे माथे

नै करता न्याव

लई ग्या अवे जाजेम

हेत्ता पंच आपड़े-आपड़े साथै

जाजेम बापड़ी...

हेरतै वखेराई गई।

जाजेम नीं हं

जाजेम नो न्याव

हेरतै?

जाजेम तू'ज बताड़!

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : शैलेन्द्र उपाध्याय ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकाशन