जद भी

म्हारै चोफेर

आय बैठ जावै

अंधारो,

अर

मन्नै डरावै,

धमकावै,

कर देवै जी नै

आकळ-बाकळ

उण बगत

थारी याद

मन्नै

जगावै,

समझावै,

बुचकारै,

मनावै

लड़ावै

अर ओढ़ावै

नेह उजास री चांदणी।

स्रोत
  • सिरजक : योगेश व्यास राजस्थानी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी