आज जद फेरू देखी थनै

तौ अचाणचक काच में

सूरत देखण लागौ खुद री

फगत खुद री आंख्यां में झांकणौ

बाकी रैयगौ है आज

थारी सूरत नै

ठीक-ठीक करण सारु याद

इतरा दिनां बाद

म्है थनै कीकर बतावूं

के आंख्यां री रोसनी कम पड़ियां पछै

वा में थारी छिब

ज्यूं री त्यूं मंडियोड़ी है

वा री वा अजै है थारी याद

इतरा दिनां बाद!

खुद सूं फेर करण लाग्यौ हूं बात

थनै इज बतलावण,

कितरा न्यारा व्है

जीवण रा बायना

अर ओळू रौ साथ

स्रोत
  • पोथी : सावचेत रैणौ है ,
  • सिरजक : मदन डागा ,
  • प्रकाशक : साहित्यागार जयपुर