ब्यावली नै छोड कै
कमावण गया पति सूं
फोन पै तो
राजीखुसी री बातां रै बिचाळै,
बरसां तक करी,
खोज प्रेम री
स्यात मिलग्यो प्रेम
लोकडाउन रै बीच।
दिनभर ऐकली घर रा कामां
मै उळझी
उम्मीद करण लागी
प्रेम सूं थोङी सी मदद री,
दोपहरै हँसी-मजाक री
मीठी बातां रा रतजगा री।
पण मिल न सक्यो
इसो प्रेम
देह तक सीमित
होवै जद प्रेम तो बो
प्रेम नी कहावै
इसो प्रेम तो
घाव देग्यो गहरो,
अर खतम होगी प्रेम री तलास।