एक दफा मैं ठालो भूलो-

दुनियां सैं पिट्यो लुट्योड़ो

ठालफ में नोकरी छुट्योड़ो

मन ही मन में घणूं घुट्योड़ो

गोरमिण्ट नै अरजी भेजी मैं ठालो हूं

जीनैं कोई नई नेवगरण गाडी में भूलकै छोड़गी-

सज्यो सजायो बो डालो हूं

थारै कोई डिपाटमेंट में-

मन्नै खाली जघां देख जे कठे फंसाद्यौ

तो मैं सोगँद खाकर कूं हूं-

ऐयां का करतब कर ज्याऊॅं, माफ करोगा

जो थारै सैं भी सौ जुग में कोनी होया कोनी होवै

कर मेरो बिसवास एकबर बिनां जघां हीं जे अळजाद्यो

चोखी न्याऊ मिलै जिसी नोकरी दिवाद्यो

तो थारो ऐसाण जलम भर भूलूं कोनी

क्यूं? मैं ठालो हूं

ऊबी झाड़ी से झड़कायोड़ो पालो हूं

एक बार चिपणूं चावूं हूं

पीछै तो में अपणैं आप जघां कर ल्यूंगा

पीछै तो थे भी मन्नें कोनी काडोगा

क्यूं? और जरगां जे छे छै घंटा काम करें है

तो मैं मेरी गरज पड्यो दिन भर रगडूंगा

अर थानैं राजी राखूंगा

थानैं रोज आदमी चाये,

एक बार मन्ने भी राखो, मैं ठालो हूं

मेरै में जो जो गुण है वे से लिख मार्या

बस ईं सैं ज्यादा थानें लिखणूं नहिं चावूं

थारी मरजी होवै तो हीरै ने राखो

नहीं कोयला गळी गळी में घणां पड्या है'

इतणी बातां अरजी में लिख अरजी भेजी

सोचूं हूं, सै बात बांचकै गोरमिण्ट कै-

कानों का कीड़ा तो सगळा भड़गा होसी

और बिना हीं जघां चिप्योड़ा हाकिमड़ां कै

बांच म्हारली फड़द सांप सा लड़गा होसी

और नोकरी देवा हाळा अफ़सरिया सै

मूदै माथै पड़गा होसी

बेरो कोनों आपस में बै कियां कियां बतळाया होसी

पण चंभै की बात, पूँचता ही अरजी

फोरण्ट बुलावो इन्टरव्यू को मन्ने आयो।

मैं हरख्यो, राजी होयो अर मन में सोची

तीर म्हारलो पैलोड़ो ही ठीक निसाने में जा लाग्यो

छै महीना से कुंभकरण सो सुत्योड़ो

आज करमड़ो म्हारो जाग्यो

करम म्हारलो के जाग्यो यो गोरमिण्ट को ऊदौ जाग्यो

जो हमास्तियै नैं भी इन्टरव्यू को एक बुलावो आग्यो

झट दरपण कांगसियो ल्यायो

मोलसिरी को तेल मंगायो

हाथाजोड़ी कर, खातै में नांव मँडाकै

छै गज कपड़ो फड़ा भूड़िये भामरवासी हाळ पा मैं

मोदूड़ै दरजी पा सूट सिमांवरण भाग्यो

संज्या मेरी सूट ल्याणानैं-

जणां गयो बींकी दुकान पै, तो के देख्यो

सिमी सिमाई त्यार पड़ी है

मैं सण्णगो, झट बोल्यो रे मर मोदूड़ा

तू ट्रायल तो लेली होती

भन्ने इटरव्यू में जाणूं जठै बांध जा सकै धोती

तूं ट्रायल तो लेली होती

तो म्हांटो बोल्यो, ट्रायल तो आडू लेवैं

म्हे तो भिड़ता हीं दीखै सो

फाड़ फूड़कै सीम सामकै पर हटां हां

मोदूड़ो तो मेरै घरका को ही नाम कढ़ायोड़ो है

मैं बैयाँ मोदूड़ो कोनी

और बापजी, पैर देखल्यो, फिट आवैगी

मोदूड़ै को लक्चर सुणकै थ्यावस आयो

सैं सैं पैली में पैरण नैं कोट उठायो

पर मैं तो रोजणख्यां आयो

जद, च्यार जणां ने बुला कहवां में कोट ठॅंसायो।

रोतो रोतो के देखूं हूं क, खाली दैणै कानीं की बां-

आंगळियां सैं च्यार इच नीची लटकै है

दरजीड़ो देख्यो तो वो भी सुन्नूं होगो

बोल्यो ओहहो जुलम होयगा

वो सागरियै सिकलीगर हाळो लंबळियो छोरो है ना?

वो भी एक कोट देगो हो

लाम-धड़ाकै में ही देखो, देणीं बां को नाप याद बैंको ही रैगो

बो सुसरो लंबळियो ही कुबद करादी

म्हारी तो ध्यानगी मरादी

तो भी कोई खास बात तो होई कोनी

एक बांह ने आठ इंच भीतरनैं मोड्यां फिट आज्यासी

आगै थारी मरजी होवै सो बिचारल्यो

सुणकै बीकी बातां, मेरे ऐयां मनमें आई

जाणै मोदूड़े की मूछ पाडल्यूं

मूं में दे हाड, खींचकै जाड़ काडल्यूं

पण मैं रिस नैं पीकै रैगो

पण मैं इतणू' तो बोल्यो 'रै सत्यानासी!

सीम्यो सो तो सीम्यो, और प्हराकै देख्यो भी चोखो

पण कह, इब कड्डे कैंयां

मेरा क्हवां कुळ या जारय्या है

तेरो काळी गाय, काड तो दे तूं पाछो'

सुणतां हीं मोदूड़ो थोड़ो ऊंचो होकै

क्हवो पकड़कै जरड़ी भींची

बांवै कानी की बां ने झटके से खींची

और म्हारली तो दोन्यू आंख्यां रैगी, मींची की मींची

मूडै पै सैं फाट बांह दरजीड़े के हाथां में आगी

जद म्हांटो बोल्यो, टांको कुछ कच्चो रैगो

मैं सोची, ई' भोंदू सै पीछै सल्टांगा, पैल्यां इंटरव्यू दे आवा

इयां सोचकै चाल पड्यो मैं

बीस पांवड़ा चल्यो गयो जद लैरय्या सैं भोंदूड़ो बोल्यो-

अजी पैंट तो लेगा होता, या तो बिलकुल फिट आवैगी

झाळ मारकै जद में बावड़कै मोदूड़ै कानी देख्यो

तो वो ओज्यूं बोल्यो कोनी

दस बजतां कै सागै गाडी जैपर पूंची

न्हा धोकर मैं, माँग्योड़ी सूट में अकड़कै

दो बजतां हीं-

इंटरव्यू लेणैं हाळॉंकै दफतर कै आगै ठै पूंच्यो

इंटरव्यू बस इबीइबी दस पांच मिंट में सुरु हुयो थो

दफतर कै बांरूंथै कुरसी पै बैठ्यो

जमादार मनमे मुळकै थो

सत्तर- हस्सी कड़ातूड़ छोरां की भुगदड़ भेळी होगी

बांनें देख देख हांसै थो

बै था सगळा बिरै बिरै का, कोई गोल्डफ्लेक पीरयो थो

कोई सांस उपरला ले लेकर जीर्यो थो

कोई विनां चसी बीड़ी मूठी में दाब्यां,

माचिस की बिद में दीखै थो

कोई बीनै देख 'इकानामी' सीखै थो

कोई मेरो साथी कुरण में चुपकै सैं चरवर ही खेलै लागा था

चरबर की हार-जीत में -

इंटरव्यू की हार-जीत समझै लागा था

पांच पांच मिंटकै आंतरै, भीतर नै घंटी बाजै ही

एक जणूं निकळयातो, दूजो भीतर जातो

भीतर जाती बखत जाणियूँ

हरख हरख हांसतो मुळकतो भीतर जातो

(पण)पाछो आती बखत, सरणसट सोळूं खोयां

एक मिंट भी डटतो कोनी कैबानैं बीमैं के होई

ऐयां बैं छब्बीस जणानैं पार कर्या जद

चांणचकै ही नाम म्हारलो भी-

बाँकै माथै में आयो, मनैं बुलायो

मैं भी देख्यांदेख हांसतो ही कमरे में कदम बढ़ायो

मुसकल से मैं तीन पांवड़ा चाल्यो होसी

इतणैं में कुरसी पर बैठ्यो बूड़लियो झ्याई सी मारी

'क्या हंसते हो?,

मैं सण्णागो, मन में सोची, मर बैरी, हांसणू पाप है?

जातो तो मैं थारै जीव-जिवासां ने रोतो जाऊंगा

अरे डैंड, सूज्ये मूडे का पांच मिंट तो हांस लेणदे

पण मैं मूंडो, फोड़ कहयो नां क्यूं भी बीनैं

च्यार जणां इंटरव्यू ले था

दो जुवान था, एक बूडियो, एक लुगाई

मैं भिड़ता ही जाण गयो थो बूडळियो कुचमाद करैगो

पण मैं सोची, देखी जासी राम भरोसै

ओज्यूं देख्यो, दैंणै कानी को जुवानड़ो,

खादी की जाकट पैरयां थो

और नाड़ ने मिंट मिंट में ताण्यां ले थो

तांण तांण कर नसां गलदरो इसो सुजा राख्यो थो म्हांटो

छाती से लेकर सिर तांगी एकमेक थो

बावै कानीं को जुवानड़ो

अचकन और पजामू, पेर्या चुप बैठ्यो थो

और स्यामने बैंड बूडियै के सहारे ही

एक लुगाई जो बैठी थी, बिनां बात ही बा हांसे थी

पण जो बूडलियो मेरे ऊपर गरजै थो

बीं मां नैं कोनी बरजै थो

सैं सैं पैली मेरै ऊपर निजर पड़ी ऐंचाताणैं की

मन्नै पूछ्यो आपको नाम? बाप को नाम? गांव को नाम?

मैं सुन्नू सो होगो, मन में बात बिचारी देखो

आपां खाता पीता कैया कै मोथां सै भिड़गा

जाणैं कठै धरमसाळा में कमरो माँगणने आयो हूं

भी कोई है सुवाल-

आपको नाम, बाप को नाम, गांव को नाम?

पण मैं हिम्मत करके सीदो ही बोल्यो, सर

अरजी में से लिख्या पड्या है, एक बार बांच्या तो होता

सुणै बिनां हीं जुबाब, बांवै कानीं अचकनियूं उछळयो

जो इब तांणी सही सलामत चुप बैठ्यो थो

क्... क्... क्...भा.भा.भाई...

बो के पूछ्यों मनें सुण्यो ही कोनीं पण मैं

बडी मुसकलां से हांसी नै डाटी राखी

सोची तो सारै को सारो ही स्हाबो डूब्योड़ो है

मैं बोलूं जींकै पैल्यां हीं बिचलोड़ी बेमाता बोली

थे ब्यायोड़ा हो कुंवारा?

ब्यायोड़ा हो तो थारै कितणां टाबर है

मैं सोची, रै मर मरज्याणीं!

तू तो दोन्यां से भी क्यू़ं चढ़ती निकळी

मैं बोल्यो, मैं इन्टरव्यू देबा आयो हूं,

छोरी देखण कोनीं आयो

मन्ने मेरी ल्याकत का सुवाल पूछो ना?

घरघिरस्त की बातां नैं थे इन्टरव्यू में क्यूं पूछो हो?

बोलो थानें बातां सैं के मतबल है?

इबकै बैंड बूडियो चसमें नैं थोड़ो नकलै पै खींच्यो

नाड़ गिरज की सी काढ़ी पर डैया फाड्या

(पण) चांणचकै ही उपसंहार कर्यो अचकनियू -

जा...जा... जा... सकते हो।

स्रोत
  • सिरजक : विश्वनाथ शर्मा विमलेश ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी