म्हारी झूपड्यां री भूख

जद तोड़'र सोनल किंवाड़

महलां बड़ैली

तो भेळ देवैली थांरी

रजवाड़ी-खेती।

नाक बैवता

उघाड़ा टाबर

थारै मखमली कालीनां पर

गट्टारोळी रमैला,

थारै जम्प खावतै

चीकणै सोफां पर

खुरदरा डोकरा

ढेरियो कातैला

अर गरेज मांय

बंधैला म्हारा ढोर।

इण'ऑपरेसन' पछै

म्हे जावांला पाछा

म्हारी खुद री ठोड़...

पण छोड़ जावांला

थारै महलां मांय

चूल्है रो स्वाद

पसीनै री सौरम!

स्रोत
  • पोथी : रणखार ,
  • सिरजक : जितेन्द्र कुमार सोनी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण