बेईमानां के लेखै
कस्यो ईमान!
न ईमान दीखै
न ईमान सूझै।
ईमान तो चत सूं
करम को
जोड़ छै।
ज्यो ई नै
भुगतै
ऊं नै ई पड़ै छै
ईमान की तोल।