क्ये न्याव है? कै

एक आई ना बै बेटा

एक वालो नै

एक दवालौ

एक घी दूद मै रमें नै

एक खाटी सा नो हाबलौ।

सेठ नै साहूकार,

मोटी मोटी मीलँ ना मालिक

कार मै बई नै

अन्तर मै झीलैं

होना रूपा नँ पोडं मैं,

दाके नै बदमें पीसयें

पण पेला नातिया ने लाल जी नै

मक्की ना फाड रौटा नै ऐं फौडा।

क्ये न्याव है?...

देस ना मोटा मोटा लोग

अधिकारी नै अफसर

पेट मैं पाणी नैं अलै

एवी कारं मै बएं।

ऊसीं ऊसीं इस्टेजं माथै सड़ी

आँकला जौदा परते ताडु की

जनता ना दुक मैंस्

आपड़ा हात भौव हदारैं नै

पैला कलजी नै वालजी नी टाल किएं

रिलिफ नी तगारियै तौकी तौकी

ऐलीपैड बणी गई!

क्ये न्याव है?..

मोटा मोटा साब नै

एण्णी लुगाइयै

सार सेडा सुटा मेनी,

हेताए बजार मैं रकडै़।

नवाँ हाडा नै घाघरा लई।

कार ना धुंवाडा काड़ती

हामी हाँजै घेरे आवें

नै पेली कंकु नै वरजं !

पोलकूं ते अगूणक्यू

वेत कापड़ा नी हाबली

क्ये न्याव है?...

मोटा मोटा साब

इन्जीनियर नै डॉक्टर ना कुकैर

पबलिक नै काण्वेन्ट में भणै नै

मोटा थई वगर वाव्यै लणैं

पण पैला दितिया नै गांगजी भाई ना सौरा

फाटी सड्डी मै हूकणा टांटिया नाकी

आणै बौज़े नै पेले बौज़े

उलिये नै लावणियै हूँजै

क्ये न्याव है? कै

एक आई ना बै बैटा,

एक वालौ नै एक दवालौ

एक घी दूद मैं रमे नै

एक खाटी सा नो हाबलौ।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : जगमालसिंह सिसोदिया ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham