एक नानी सी चिड़कली नैं

देख हियो म्हारो हुळस्यो,

देख के वांरा करतब म्हारा,

नैणां सूं जळ बरस्यो।

चुग्गै ही वा अेकली,

छाजा पै बैठी दाणा,

जाणै कठ्यां सूं आया कागला,

ऊंपै झपट्या बै मरज्याणा।

देख अेकली चिड़कली,

वांरी दूसरी जागी

जाण के वां रै मन की चिड़कली

मूं फेर उड़ण नै लागी।

उण दुष्टां रै बीच मैं वा

फँसी चिड़कली एक,

मैं लियो कांकरो हाथ मैं

अस्यी अनीति देख।

ऊं सूं पैल्यां चिड़कली

वांरी उड़-उड़ फोड़ी आँख,

कागळिया घायळ हुया

टूट गया वां रा पाँख।

देख चिड़कली री हुसियारी

हिवड़ा नैं मिल्यो सिंवात,

म्हारै साथ मैं म्हारी चिड़कली,

मैं भरली ऊंनै बांथ।

फुर-फुर, फुुर-फुर उड़ी चिड़कली

नाप लियो आकास

मैं बोली मत डरिये चिड़कली

करिये खुद पै बिस्वास।

स्रोत
  • सिरजक : सुनीता बिश्नोलिया