गोविंद गुरु जी ते
समक्या
जागरण ना अंगास।
अने हरिदेव जोसी जी
सड़्या
राजनीति ना आकाश।
कारी बाई ए
सबं ने करावी भणाई
अने राज सिंह जी ए
करावी किरकेट नी गणाई।
बेणके सन्त मावजी नी
धरम ध्वजा आज़े बी
शान थकी फरी रई है
अने आ ताज़ू देकी देकी ने
बीजं नी घणी बरी रई है।
एवा स जाणे केटला ए थ्या
वागड़ धरती माते लाल
डंको वगाड़ी जगत मयं
खूब करी ग्या कमाल।
ने एटलु करवा ने बाद बी
आ बरवा वारा कय हीं
के अमे वागड़िया ते भांड हं
अने कइया क ते कई हीं
के अमे वागड़िया ते डांड हं।
ते हामरो मारो जवाब
के अमे वागड़िया ते
नती ते डांड हं
के नती ते भांड हं।
अरे... अरे... अरे...
अमे वागड़िया ते...
हूरज ना हांड हं
अमे वागड़िया ते...
हूरज ना हांड हं।