जाग-जाग अणजाण बटाऊ
पछी पुळकै, बीती रात
दूर घणेरो अेढो तेरो
संग गोरखधन्धै री जात
सोपै भटक्या लोग न जाणै
दिन में भटक्या चालै बात
सोबणियो इण ससारी में
खोवै जिको न पावै स्यात
मान-मान मनमौजी हंसा
मत कुरळावै माझळ रात
धरती धूज, गगन अमूझै
सरवर गूजै सूखै गात
इण जगती मे सुण ओ स्याणा
स्वारथ रा सारा उतपात
सुख मे मोती चुग जिका ई
दुख मे आसू पीव स्यात
चाख-चाख रसलोभी भंवरा
फूला रा मुरझाया गात
रीत-प्रीत री चीत तनै नी
तू कपटी निरमोही जात
सुख रा सगी घणा जगत में
दुख मे कोई करै न बात
रस पीवणियो मर तिसायो
तो कोनी अणहोणी स्यात