हे! हरियाळा रूखड़ां

तू ही तो है

सिणगार इण धोरों रो

तू ही तो है म्हारी

जियाजूण री परतख

यादां रो समदर

हे हरियाळा

थांसू ही तो है

हरियाळ म्हारै मुरधर में

थानै देख देख नै ही तो

टाबर घुडाळिया सूँ

लेय अर खुद रा पगां

माथै अडग खड़ो होग्यो

हे हरियल रूंख

तूँ ही तो है

जिण देख्या है

केइ कुड़बा

म्हारी पीढियां रा

हे हरियल

थांसू ही तो

चहचहाती रयी है

अठै री सोनचिड़ी

जिण नै जोय जोय नै

टाबरिया हरखता रिया है

थनै पाणी री जिग्या

नेह रो नाळ पायो है

थूं भी तो रयो है

म्हारै अन्ते अर घर

रो इक प्यारो सो भाती

हे! हरियल

थारै सारूं भी तो

म्है दीना हूँ बलिदान

थानै याद है कई वा

अमृता जिण

आप रा प्राण

आपरी बेटियाँ रै साथै

थारै सारूं

हाँ रूंख थारै सारूं हि तो

दीना था

हे! हरियाळा

सूखण मत देयजे

थारा डाळा क्यूंकि

थारा डाळाँ माथै ही तो

तीजणियां गाया है

मधरा गीत

रचिया है सुंदर सपना

हे! हरियाला

थूं इण मुरधर म्है

कदै कदै प्यासो

रैग्यो वेला

पण कदै भी थूं

तिरस्यो कोनी रियो वेला

नेह रा नाळा सूँ

हे! हरियाळ

थूं तो थूं ही है

थांसू ही तो

मिनखां रा

पशुओं रा अर

इण सारै संसार रा

पेट पळ रिया है

हे! हरियाळ

थूं कदै भी माँसू

रिसाजै मती

क्यूंकि थारै बगैर तो

म्हें मरियां पछै भी

जा कोनी सकूँला।

स्रोत
  • सिरजक : कमल सिंह सुल्ताना ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी