लोग दस रिपिया दान करैं,

तो चर्‌चा करवावै,

मंगते नै रोटी देवैं,

तो फोटू खिचवावैं।

म्हे भी पुन्न कमायो,

भामाशाहां गी सूची में

नाम लिखवायो

वृद्धाश्रम आळा,

चंदा मांगण आया

तो बूढ़ा अर बीमार

मां-बाप दोन्यूं थमाया।

म्हे शोहरत म्हें कोनी,

खुद नै घसीट्यो।

ना रसीद मांगी

ना ढ़िढोरा पीट्यो।

स्रोत
  • सिरजक : रूप सिंह राजपुरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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