गंगापुत्र भीष्म
थांनै
हस्तिनापुर नै
जबाब देवणौ पड़सी
क्यूं?
आखर क्यूं?
उण बगत
थांरी आंख्यां
पाथरीजगी ही
जदकै
थारै सांम्ही
सांप्रतेक होवणवाळी ही
नागी द्रौपदी।
पितामह भीष्म!
थांनै हस्तिनापुर नै
जबाब देवणौ पड़सी
कांई अेक द्रोपदी सूं
बध नै ही
थांरी हस्तिनापुर?
क्यूं?
आखर क्यूं?
थे औ पांतरग्या कै
जिणनै थे वचन दिया हा!
जिण सारू थे
थांरी जूण
तपतै धोरा दांई भोगी
वा भी
अेक मां ही
अर
जिणरी कूख सूं जलमिया
अेक मां ही
गंगा मां
अर
जिणनै थे नागी व्हैती देखता रैया
वा भी अेक मां ही
हस्तिनापुर री
भावी पीढी री मां।
गंगापुत्र भीष्म!
थांनै हस्तिनापुर नै
जबाब देवणौ पड़सी
अेक कुळवधू रै
हांचळ रै आंचल सूं
बधनै
कद होयगी ही हस्तिनापुर?
यूं तौ थे
इणनै भी
अेकर बार
नागी करण सारू
उघाड़ियौ हौ
इणरौ चीर
वाढ्या हा
इणरा हांचळ
अेक इंद्रप्रस्थ
अर
दूजोडौ बचियोडै हस्तिनापुर रै रूप
कांई इण सूं भी ठाडौ को होयौ नीं
थारौ काळजौ
जिकौ थे अेक
हाड-मांस री
हस्तिनापुर नै
सांप्रतेक देखणी
चावता हा नागी?
गंगापुत्र भीष्म!
थांनै
हस्तिनापुर नै
जबाब देवणौ पड़सी
कठैई
थारै सापित मन में
नागी लुगाई रौ
उघाड़ी डील देखण री
लालसा तौ नी जागी ही?
कठैई थांरी दब्योड़ी
कुंठित वासना
भभक तौ नी गी ही
ज्वालामुखी दांई
थांनै
हस्तिनापुर नै
जबाब देवणौ पडसी।
गंगापुत्र भीष्म!
हस्तिनापुर
द्रोपदी
अर इतिहास नै।