ऊंट नी गाबेड़

लांबी ओए तो बे फेरो नै वड़ाय

हाथ मएं गंगाराम ओय

तो जेने तेनै नैं देवाय,

नवरी बेटी दार साटै

वदू मैनत

थाकी पड़ाय

मेटू मौडू तारै थाए

जारै

ढोल ढमाको हमराय।

ढोल ना डोणा

ढोल ना ऊपर

तेल तोलं मएं कडाए

ओवें रोकड़ा तो

पण्णे डोकरा

हूँ खोटू कैवाय।

हाण्णू हदरै हींगै

आजे एवुस् देकाय

बईरू हदरै डेंगे

तो खोटी वात कैवाय।

डूंगरै बरै दुनिया देखे

पोग मएं बरै नै देकाय

उजड्या गाम मएं

हमज़ो तमै

अरण्डो राज़ा कैवाय।

आंबो रोप्यै आंबो थाय

बोवरिये

बोवरियो थाय।

करम मएं लक्यू डोरियु

ते घी तैल क्यं थखी थाय।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : वृज वल्लभ द्विवेदी ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण