कित्ती सख्त,

सूखी होवैं

गन्ने गी पोरियां।

बामैं ई, छुपी होवै,

गुड़ गी गिलौरियां।

बूढ़ा पति, पत्नी स्यूं

बेरूखी राखै,

तो उम्र गो तकाजो है,

के करै जद 'हैलो' कर'र,

लिफ्ट मांग लेवैं छोरियां।

स्रोत
  • सिरजक : रूप सिंह राजपुरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी