ऊनाळा रा दिनां में

डोकरी

हेर्या, सूई-डोरा

अर त्यार करण लागी

फाटा गूदड़ा-कोथळ्यां।

डोकरा री फाटी

धोतियां नैं सींव’र

काढ़ द्या कानड़ा...

नान्या री पैंटां रै

लगा दी भांत-भांत री कार्यां

बूढी आंख्यां रो ग्रिस्थी पे पहरो है

ठाला दिनां रो धारो है।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : मोहन पुरी ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण