निमो ब्रिज रा बाळ स्रग लोक वासी।
आया नंद रै आंगणै, अविणासी॥
अला नंद रै आंगणै मांहि नाचै।
अला राम रा सहज ए साचि राचै॥
अला बाप चरिताळ हाथे बंधावै।
अला हेतां सां जसौदा हुलरावैं॥
अला वतं मां जाइ मुरळी बजावै।
राजा राम नां ओथि राधा रमावै॥
अला पौरसे हुऔ दईतां पछाड़ै।
अनड़ गोरधन हाथि एकिणि उपाड़ै॥
अला मथुरा मां जाइ नै कंस ‘मारै।
अला आपरा भगत ओथी उधारै॥
अला उग्रसेना सरिसि राज आपै।
अला कुरिदि बाभण तणौ तुरत कापै॥
अला रुखमणी राज रै पट्टराणी।
असुर मार नै आंहचै भली आणी॥
अला अनरज तूं हीज भरतार ओखा।
अला सहज पदवंन रा तूं हीज सरीखा॥
अला जुध री वात अखियात जांणै।
माळी तारि नै कूबड़ी नारि मांणै॥
अला जुध नै दैत गिणिया न जायै।
अला खंड डंडूळ नां तूं हीज खायै॥