तारा म्हारा नी गाँठ छोड़ी दौ

ऊँचा नीचा ना भेद मटावौ

काया आली भगवानै तौ

साँच नी सामी भरता रैजू

मनख ज़मारो मल्यौज आवौ

यौ जनम फेर न्हें मलवा नो

हरि नूं नाम रटता रैजू

कळजुग नौं आ’ज आसरो है

अेका बीजा नै काम आवौ

अेका बीजा नूं ताजू विज्यारौ

केवत मअें केवणूं है

मन तेवू धन थाय रै

करम नौ मारग हांझो रै जौ

सत नी वाटे हेंडोगा

धरम ना हात भी राखौ ऊँचा

पुण्य कमावा मलेगा

कई र्‌यू गीता नूं ज्ञान के

जैवी करणी ‌अैवी भरणी

ताजू करौ अर ताजू भरौ

जनम-मरण नौ फेरौ सूटै।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : राम पंचाल भारतीय ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी