घणी छोटी हूं, माटी हूं म्हैं

जे राखोला थै पग म्हां पर

जद चरण धूळ ही थांकी हूं म्हैं

घणी छोटी हूं....।

जे बध जावोला थै गेला में आगै

थांकी दिशा में ही उडूंला म्हें

बण'र धूळ रो गुबार

सगळां मैं थांको गेलो ही दिखाऊंला म्हैं

घणी छोटी हूं....।

हवा जद ना चालै उण समै,

तो माटी में अस्यान धंस जाऊंला म्हैं

बण थांकां पगां रा निसाण

सगळां नैं थांको गेलो ही दिखाऊंला म्हैं

घणी छोटी हूं....।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : कृष्णा सिन्हा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham