वाह, थारी मुळक

जे थूं अेकर फेरूं मुळक देवै

तो म्हैं संसार रा सगळा

माणक-मोती

थारै ऊपर वार दूं

मुळक।

अेकर तो मुळक

जीसा कैयो हो कै

बरसां पैलां

थारो मुळकणो

सूखतै खेतां नैं हरया

अर दम तोड़तै मिनखां-डांगरां नैं

जीवण रो वरदान दियो हो

देख टाबरां री टोळी

बीं री आंख्यां मांय

थारा ईज सुपना है

इणां रा खिलता उणियारा

कठैई कुमळाय नीं जावै।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन