नदी किनारै, म्हारो गांव रै
साजन छै पणपट म्हारो
बाबुलवो बाग रै
गळियां सहेल्या म्हारली
माटो सुहाग रै॥
सैंया री बाट जोवै, हिरणी’ रा पांव रै
उड़ता खळियाण म्हारा
पावन पुराण रै
धरती माता छै म्हारी
गोता, कुराण रै॥
राधा-सी धूप प्यारी, कान्हा-सी छांव रै
महुआ री, डाळ मोरियो
गावै मल्हार रै
ढळती रातां में मचळै
दूधिया, धार रै॥
प्राणां सूं प्रीत जोड़ै, सांसाँ री नाव रै
मनभावन गांव म्हारो
मस्ताना खेत रै
नदियां तो आँचल सरका,
बिखराई रेत रै
सूरज रै साथै, सोनलिया साँझ रै॥