भेद भाव रो लद्यौ जमानो
मिनख-मिनख सब एक है।
धन्धा पूळी न्यारा-न्यारा
प्राण सबां रा एक है।
गाँधी बाबो साँची कैग्यौ, छुआछुत छूमन्तर वैग्यौ।
पगां पगरखी डील अंगरखी
पैरै ज्यू इन्सान है।
धन दौलत सूं बालो आनैं
म्हारो हिन्दुस्तान है।
सपनो सब रो सांचो वैग्यौ, छुआछुत छूमन्तर वैग्यो।
आज प्रेम सूं ना’य धोय सब
मन्दिरये दरसण जावै।
हरि-जन बैठ हरि री पैड़ी
गंगा री गाथा गावै।
पाखण्डी पटकातो रैग्यौ, छुआछूत छूमन्तर वैग्यौ।
भारत मां रा पूत लाडला
नुंवा पंथ पै फूल चढ़ावै।
लोकतन्त्र की फेरे माळा
आन बान पै सीस कटावै।
नुवों उजाळो घर घर देग्यौ, छुआछुत छूमन्तर वैग्यौ।
जात पांत रा बन्धन टूट्या
ऊँच नीच रो कठै ठिकाणो।
खरो कमाबां-नाम कमावां
चौखो लागै आणो-जाणों।
घर-घर में गंगाजळ वेग्यौ, छुआछूत छूमन्तर वैग्यौ।
सपनो सब रो सांचो वैग्यो, छुआछूत छूमन्तर वैग्यौ॥