अेको करल्यां रे करसाऔ, सांची गांधीजी की बात।
अेको करल्यां रे करसाऔ, सांची गांधीजी की बात॥
अरे! तास का खेल सूं रै! सीखो ज्ञान सुजान।
गोर् यां बीबी राजा सूं भी अेको छै बळवान॥
नहला, दहला, गोल्या, बीबी, राजा भी घबराय।
अेको अेक करके सब नै, नाकां चणा चबाय॥
करसाणां की फूट सूं रै! सभी उड़ावै माल।
घूस, मुनाफा, चोर बाजारी, थांकी करै हलाल॥
गळ्यो सढ्यो ले नाज उधारो, मर् या झड़ां में खाय।
नयो नाज जब त्यार करां तो सूंधो भाव बिकाय॥
मंडी तो चंडी बणी रे, मन के भाव बिकाय।
करसाणां का मांस नै सब लूंच लूंच कर खाय॥
राज अर व्यौपार दोनुं तोल-मोल में लूटै।
खरी कमाई करसाणां की बात-बात में चूंटै॥
करसाणां कै नाज सूं रे होळी खेलै हमाल।
आड़त्या, बौपारी, मंगता, राजा करे हलाल॥
खेत खावै जीव जनावर, खावै करज खलाण।
कच्चेड़ी में रिस्वत खावै, करसाणां को प्राण॥
नौकर चाकर बैठ्या ठाला, रिस्वत रोज पकाय।
आजादी का बैरी बणग्या, रोवै भारत माय॥
बात-बात में दाम मांगै, मंहगो करद्यो न्याव।
डांट बताकर रिस्वत चाटै, उलटो चालै न्याव॥
कानूनगो जी कान खांचै, पटवारी फटकारै।
तांणै थाणादारजी, गण्डक ज्यूं दुतकारै॥
नजराणा, कीणा, चिट्ठावण डाली भेंट-रसाळ।
फीस, कमीसन, इनाम, पैर् या, घूंस चले बेताळ॥
गांवड़ां को खून चूसकर, सहर बण्या धनवान।
जगमग जगमग सहर चमकै, गांव बण्या समसान॥